tag:blogger.com,1999:blog-2628135277649630987.post2901252893023260288..comments2023-10-21T09:18:33.944-07:00Comments on कहानी कुनबा: जात पे ना पात पे, गीला मारो लाठ पेप्रतुल वशिष्ठhttp://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2628135277649630987.post-40896770799539746342010-11-17T02:04:53.568-08:002010-11-17T02:04:53.568-08:00बेहद खूबसूरतबेहद खूबसूरतDhananjay Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12503994751482397019noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2628135277649630987.post-62607523678440102022010-11-17T01:51:55.103-08:002010-11-17T01:51:55.103-08:00कुत्ते को प्रतीक बनाकर भारतीय राजनीति पर की गई आपक...कुत्ते को प्रतीक बनाकर भारतीय राजनीति पर की गई आपकी चर्चा बहुत मज़ेदार है।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2628135277649630987.post-12309768225166091082010-10-15T16:52:25.916-07:002010-10-15T16:52:25.916-07:00होइहै वही जो राम रचि राखा
कोकहिं तरक बढावै साखा॥होइहै वही जो राम रचि राखा<br />कोकहिं तरक बढावै साखा॥Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2628135277649630987.post-44070382047061967882010-09-30T22:21:00.767-07:002010-09-30T22:21:00.767-07:00उचटता कविता से जब 'जी'
कल्पना कर लेता फर्ज...उचटता कविता से जब 'जी'<br />कल्पना कर लेता फर्जी.<br />सौम्य सुन्दर इव सूर्यमुखी <br />आपका खिलना दिव्या जी.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2628135277649630987.post-9166110173879208442010-09-30T22:12:57.009-07:002010-09-30T22:12:57.009-07:00मित्र V4-शून्य,
आपकी ऎसी ही टिप्पणियाँ कुछ नया सो...मित्र V4-शून्य, <br />आपकी ऎसी ही टिप्पणियाँ कुछ नया सोचने को विवश करती हैं. <br />प्रेमचंद ने कहा है — "यदि पुरानी बात भी उत्साह से कही जाए तो वह नयी-सी लगती है." <br />शायद मेरे उत्साह में कमी रह गयी. <br />_________________________<br />ओल्ड इस ओल्ड फॉर ओल्ड फ्रेंड. <br />ओल्ड इस न्यू फॉर न्यू फ्रेंड्स.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2628135277649630987.post-36356834986902144322010-09-30T07:32:25.188-07:002010-09-30T07:32:25.188-07:00मैं इस रचना को पहले भी पढ़ चुका हूँ. दुबारा पढवाने ...मैं इस रचना को पहले भी पढ़ चुका हूँ. दुबारा पढवाने के लिए धन्यवाद.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2628135277649630987.post-9885179328802099452010-09-29T22:07:46.011-07:002010-09-29T22:07:46.011-07:00बेहद खूबसूरत प्रस्तुति। धर्म और देश के ठेकेदार क...बेहद खूबसूरत प्रस्तुति। धर्म और देश के ठेकेदार को आइना दिखाती बेहतरीन पोस्ट।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.com